The cossacks -कज्जाक
The Cossacks by Leo Tolstoyकज्जाक"
कज्जाक" नवलकथा लियो तोल्स्तोय की सुंदर रचनाओ में से ऎक है,ईसी कथा का नायक जो के एक धनिक कुटुंब मे पाला-पोषा गया परंतु आखिर उनको धन से धुणा उत्पन होती हे ओर ये कज्जाक लोगो के गाँव चला जाता हे रहने के लिये.ईसी कथा के कुछ वाकय :* "मैं अब सुखी क्यों हुं ,और पहले मै किसलीयए जीता रहा हूं ? ..... "मै अपने लिये कितना कुछ मांगता था,कैसी कैसी मै योजनाएं बनाता था,लेकीन अपने को शर्मिंदा और दुखी करने के अलावा मैने अपने लिए ओर कुछ हासिल नही किया !......."सुख ईस बात मै कि दूसरो के लिए जिया जाये.यह स्वत:स्पष्ट है, मनुष्य में सुख की कामना निहित है ; सो वह न्यायसंगत है.ईस कामना की स्वार्थमय पूर्ति करते हुए,यानी अपने लिए धन-दौलत, यश,जीवन के आराम,प्रेम खोजते हुए, ऎसा हो सकता है कि परिस्थितियां ऎसी बन जाये कि ईन ईच्छाओं की पूर्ति असंभव होगी. ..."क्यो न दुसरो के लिए जिया जाये ? [104]* तुम लोग नही जानते कि सुख कया है और जीवन क्या है ? एक बार जीवन को उसके सारे अकृत्रिम सौंदर्य मे अनुभव करना चाहिये. [158]* आत्मत्याग सब बकवास है.यह सब अहंकार है,सुख से उचित ही वंचित लोगो के लिए एक शरण है,दूसरों के सुख से होनेवाली ईर्ष्या से बचने का उपाय है, दूसरो के लिए जीना,भलाई करना ! किसलिए ?....[162]
ओनलाईन कज्जाक नवलकथा पढो
0 Comments:
Post a Comment
<< Home